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प्रदेश के सरकारी 16 ताप बिजली यूनिटों में 9 ठप पड़ी




5400 मेगावाट में 30% से कम 1478  मेगावाट बिजली उत्पादन...


(-डॉ. प्रेमनारायण सोनी )


बीरसिंहपुर-पाली--

मध्यप्रदेश प्रदेश के 4 सरकारी ताप बिजली संयंत्रों  में 16 यूनिटों  की  कुल क्षमता  5400 मेगावाट में से मात्र सात यूनिटों से 1478 मेगावाट तापबिजली  का उत्पादन हो रहा है 09 यूनिटें ठप्प है , प्रदेश के जलविद्युत इकाइयों से 423 मेगावाट बिजली मिल रही है, प्रदेश में लगभग 8हजार मेगावाट बिजली की मांग है जिसकी आपूर्ति केंद्रीय सेक्टर तथा निजी प्रदाताओं के बिजली लेकर  की जा रही है।


इस गर्मी में बिजली की मांग कम होनेके नाम पर सरकारी बिजली इकाइयों से उत्पादन बन्द कर बांकी  महंगी बिजली निजी प्रदाताओं से अनुबंधो के अनुसार ली जाती है।

प्रदेश के चार तापबिजली प्लांटो संजय गांधी बीरसिंहपुर में 1340 मेगावाट की पांच यूनिटों से पांचों से कुल उत्पादन 940 मेगावाट, अमरकंटक तापबिजली घर चचाई में 210 मेगावाट की एक यूनिट  जो 16 जून से आग लगने से क्षतिग्रस्त होने के बाद वार्षिक रखरखाव के 20 दिनों के लिए  05 जुलाई तक बन्द है, सतपुड़ा  तापबिजली घर सारनी में 1330 मेगावाट की 6 यूनिटें है जिनमें 250 मेगावाट की 10 नम्बर यूनिट से  मात्र 155 मेगावाट  बिजली का उत्पादन हो रहा है,5 यूनिटें बन्द  हैं।


 संत सिंगाजी सुपर ताप बिजली घर खण्डवा में सबसे  ज्यादा 2520  मेगावाट की 4 यूनिटें हैं जिसमे 600 मेगावाट की एक और दो नम्बर बन्द तथा 660 मेगावाट की नवीनतम यूनिट जो 05 अगस्त 2020 को एच पी टरबाईन टूटने से  320 दिनों से  आज भी बन्द है मात्र 660 मेगावाट की चौथी यूनिट से  363 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है। 

 

प्रदेश में सरकार ने 21 हजार मेगावाट  बिजली की उपलब्धता  बतलायी जा रही है और मात्र 8से साढ़े 8 हजार मेगावाट बिजली की मांग औसत वर्तमान में है बांकी प्रदाताओं को बिजली न लेने पर अरबों रु सालाना फिक्स चार्ज का भुगतान किया जा रहा है जिसकी वसूली बिजली उपभोक्ता से  दरों के अलावा फिक्स चार्ज के रूप  और बिजली दरें बढ़ाकर की जा रहीं है। जल्द ही बिजली दरें बढ़ाने के लिए विद्युत नियामक आयोग में विद्युत मण्डल ने याचिका लगाई है जिस पर सुनवाई जारी है। जबकि प्रदेश में  कस्बों,गांवों दूर दराज के इलाकों में बिजली की सप्लाई कितने देर होती कैसी होती है लोग जानते है।

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