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राष्ट्र के आराध्य का 72 वां जन्मदिवस

 *आवारा कलम से* दिनेश अग्रवाल वरिष्ठ पत्रकार


     विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में आपने  भी सुना होगा कि कांग्रेस ने पिछले 70 सालों  में  कुछ  नहीं किया । ऐसा कहने वाले   यही   कहते-- कहते  आज 72 साल के हो गए ।  अपने ओजस्वी प्रधानमंत्री जी को  उनके जन्मदिन पर हम सभी की  हार्दिक  हार्दिक शुभकामनाएं ।

        मैं आज इस शुभ घड़ी में उन लोगों की बिल्कुल बात नहीं करूंगा , जो कल तक हर हाथ को काम मांग रहे थे और मंहगाई को डायन बतला रहे थे , क्योंकि आज वही लोग मठों , मंदिरों और अपने संगठन के कार्यालयों में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं । कहीं रामधुन चल रही है और कहीं वैक्सीनेशन की कदमताल पर सच्चा सीधा  भक्त  थिरक रहा है ।  न जाने क्यों इस बार रक्तदान जैसे कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए । इसका यह  अर्थ नहीं निकालें कि महंगाई के इस दौर में भक्तों के शरीर में रक्त नहीं बचा , हो सकता है कि वह किसी और आपात स्थिति के लिए शायद  बचाकर   रखा हो । इसीलिए 72 वें जन्मदिन पर रक्तदान सुनने  में नहीं आया । जहां तक जनता का सवाल है, वह  भक्तों से रक्तदान की बिल्कुल अपेक्षा नहीं कर रही , उस की मुख्य अपेक्षा तो अर्थदान लेने की है ।

काश ! आज कोरोना की महामारी से मर चुके लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपए मिल जाते तो आम आदमी भी खुश हो जाता और सुप्रीम कोर्ट भी खुश हो जाता  ।

       तीसरी लहर की अनवरत भय पूर्ण खबरों के बीच लोग इधर -- उधर से बचाव करते रहे मास्क लगाकर दूरी बनाकर खड़े रहे , वैक्सीन के टीके भी लगवा चुके लेकिन दबे पांव वायरल बुखार आ गया , पीछे से डेंगू ने गर्दन पकड़ ली और दोनों हाथ पकड कर मलेरिया खींचने लगा । अपने जिले का या अपने प्रदेश का सवाल भर नहीं है बल्कि देश के कई राज्यों में इन छोटे-छोटे डेंगू--- भेंगू ने आम आदमी की खटिया खड़ी कर दी । अस्पताल में लोग कराह रहे हैं । उन्हें बिस्तर नहीं मिल रहे । ऐसा भी संभव है कि  आज का भजन पूरा निपटा कर कल भक्त जरूर अस्पतालों का निरीक्षण  कर सकते हैं , यही लोग है  जिन्होंने 

कुछ अच्छा करना शुरू किया वरना कांग्रेस ने तो 

70 सालों  में  कुछ किया ही नहीं ।

    पता नहीं उदारीकरण के इस दौर में जिन संस्थानों का निजीकरण  किया जा रहा है ,  वह भारत में कब आए और कहां से आए  ?

इस पर इतिहास भी मौन है । किसी को नहीं पता कि जो सामान आज बिक रहा है ,उसे लाने वाला कौन है ? 

  पिछले दिनों एयर इण्डिया के विमानों की ऑनलाइन बोली शुरू हुई लेकिन एक भी खरीददार लाइन पर नहीं दिखा  । तब खुलेआम बोली शुरू की गई । भला हो टाटा का, जिसने अकेले हिम्मत दिखाकर बोली लगाई ।

किसी भी प्रतियोगिता में जब भाग लेने वाला अकेला एक ही प्रतियोगी हो तो उसकी विजय निश्चित मानी जाती है । मेरा भी मानना है एयर इंडिया अब जल्दी टाटा इंडिया बनेगा ।

      गुजरात और महाराष्ट्र तथा उड़ीसा और बंगाल भारी बारिश और बाढ़ का मुकाबला कर रहे हैं पंजाब और जम्मू कश्मीर की पुलिस पाकिस्तान की साजिशों से दो-दो हाथ कर रही है आसाम और मिजोरम आपस में सीमा को लेकर खिचे हुए हैं । वक्त के ऊपर सारी समस्याओं छोड़ दो सुलझती रहेंगी क्यों फोकट में सिर दर्द बढ़ाएं अच्छा   होगा   कि   चलो !  कहीं बैठ कर राष्ट्र के आराध्य का 72 वां जन्मदिवस मनाएं ।

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